Top Haryana: हरियाणा सरकार ने एक बड़ा और सराहनीय फैसला लिया है। अब करनाल जिले में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए पहला स्कूल आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त कर लिया गया है। यह कदम ट्रांसजेंडर समुदाय को समान अधिकार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
यह स्कूल साल 2014-15 में शुरू किया गया था और यह लगभग 800 स्क्वेयर मीटर में चल रहा है लेकिन नियमों के अनुसार, किसी भी स्कूल को सरकारी मान्यता तभी मिलती है जब उसके पास कम से कम 1 हजार 500 स्क्वेयर मीटर जगह हो। इसी वजह से यह स्कूल अब तक मान्यता से वंचित था।
स्कूल प्रशासन ने की थी अपील
स्कूल के संचालकों ने हरियाणा ह्यूमन राइट्स कमीशन में एक याचिका लगाई थी। उन्होंने बताया कि यह स्कूल ट्रांसजेंडर बच्चों के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि यह उन्हें शिक्षा पाने का मौका देता है। याचिका में कहा गया कि सिर्फ जमीन की कमी की वजह से स्कूल को रोकना नाइंसाफी है।
मानवाधिकार आयोग ने लिया संवेदनशील फैसला
हरियाणा ह्यूमन राइट्स कमीशन के चेयरपर्सन जस्टिस ललित बत्रा और उनकी टीम ने इस मामले पर विचार किया और स्कूल को मान्यता देने का फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 हर नागरिक को बराबरी का अधिकार देता है। इसके साथ ही ट्रांसजेंडर पर्सन्स एक्ट 2019 में भी साफ लिखा है कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को शिक्षा और नौकरी में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
कानूनी फैसलों का हवाला
कमीशन ने 2014 के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले NALSA बनाम यूनियन ऑफ इंडिया का भी जिक्र किया, जिसमें ट्रांसजेंडर समुदाय को कानूनी रूप से मान्यता देने और उनके अधिकारों की रक्षा करने की बात कही गई थी। 2023 में नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन ने भी ट्रांसजेंडर लोगों को समान अवसर देने की सलाह दी थी।
सरकार को मिली सख्त सलाह
मानवाधिकार आयोग ने हरियाणा सरकार को सलाह दी है कि वह इस मामले को सिर्फ नियमों के नजरिए से न देखे, बल्कि इसे संवेदनशीलता और इंसानियत की नजर से देखे। कमीशन ने कहा कि सिर्फ जमीन कम होने के कारण स्कूल को मान्यता न देना, ट्रांसजेंडर बच्चों के साथ भेदभाव जैसा है।
एक नई शुरुआत
इस फैसले के बाद अब करनाल जिले में चल रहा यह स्कूल आधिकारिक रूप से ट्रांसजेंडर बच्चों के लिए मान्यता प्राप्त स्कूल बन जाएगा। यह न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में बराबरी की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि समाज में ट्रांसजेंडर समुदाय को सम्मान और पहचान देने की ओर भी एक मजबूत प्रयास है।